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Mohan Sardarshahari
56/M/India
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Mohan Sardarshahari
Mohan Sardarshahari
9h
तेरी अनुभूति
ये फूल नहीं तेरा अक्ष हैं
घर से बाहर तेरा कक्ष हैं
हर ओर तेरी अनुभूति इनका लक्ष्य है
प्यार अपना अक्षय है।।
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Mohan Sardarshahari
1d
चांद सी महबूबा
चांद सी महबूबा पाने के लिए
रात्रि जैसा विशाल और शांत जिगर चाहिए
क्योंकि महबूबा के अंदाज भी चन्द्रकलाओं
की भांति ही बदलते रहते हैं।।
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Mohan Sardarshahari
2d
हकीकत
आंख मिल जाने से
कोई मिल नहीं जाता
हां शायर जरूर बना देता
शायरी लिखते-लिखते
जब कभी दीदार हो जाता
लफ्ज़ इतने जहन में बैठ जाते
कि हकीकत हजम नही होता।।
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Mohan Sardarshahari
2d
कश्ती
कश्ती चलते - चलते मैली हुई
सोचा किनारों से पूछें कोई हल
देखा किनारों का जब हाल
पाया खुद को इनसे खुशहाल सूरत-ए-हाल।।
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Mohan Sardarshahari
5d
मां
तेरी निशानियां नहीं
ये तेरी कुर्बानियां हैं
जीवन के संघर्षों में
मुझ पे मेहरबानियां हैं।।
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Mohan Sardarshahari
6d
यारी
यारी वह आरी है
जो बड़ी से बड़ी दु:ख
की रात काट सकती है
जुल्फ वो घटाएं हैं
जो बिन बरसे ही
लताओं का आभास
करा सकती हैं।।
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Mohan Sardarshahari
7d
आखातीज
म्हारी आखातीज
घी-खीचड़े रो भोग
जे सागै खाटो मिलज्या
रैवां बारों मिनहां निरोग।
खेत में सोनचिड़ी दिखज्या
फोगड़ां गां सीटा
रामजी छांट करदे
सुगन मानां मोटा।
के तो घरै बीनणी आसी
के भरसी कोठ्या मोटा
बारों मिनहां धीणो रैसी
पीसां रो नीं होसी टोटा।।
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