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Mohan Sardarshahari
56/M/India
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Mohan Sardarshahari
Mohan Sardarshahari
1h
आखातीज
म्हारी आखातीज
घी-खीचड़े रो भोग
जे सागै खाटो मिलज्या
रैवां बारों मिनहां निरोग।
खेत में सोनचिड़ी दिखज्या
फोगड़ां गां सीटा
रामजी छांट करदे
सुगन मानां मोटा।
के तो घरै बीनणी आसी
के भरसी कोठ्या मोटा
बारों मिनहां धीणो रैसी
पीसां रो नीं होसी टोटा।।
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Mohan Sardarshahari
9h
तन्हाई
मत तन्हाई की बात करो
जरा इस पर भी गौर करो
मयखानो ने बोलने की आजादी दी
आंखें मिलीं तो खामोश हो गया।।
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Mohan Sardarshahari
1d
लिबास
तुलना ना करना कभी
मेरे लिबास के शौक की
मेरे कफ़न से
लिबास मैं खुद तय करता हूं
कफ़न मेरा दूसरे तय करेंगे।।
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Mohan Sardarshahari
2d
फिसलना
लोग फिसलते उम्र के हर मोड़ पर हैं
रफ्तार फिसलने की उम्र बढने
पर थोड़ी कम हो जाती है
दिमाग लगाने को थोड़ा वक्त मिल जाता है।।
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Mohan Sardarshahari
3d
प्यास
नदियां ही ठीक रही हैं
हर दौर में मानव जीवन के लिए
मर्यादाएं तय कर सकें तो
बेहतर है प्यास से निपटने के लिए
समुद्र तो खारे होते हैं
मर्यादा का पैगाम जरूर देते हैं।।
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Mohan Sardarshahari
5d
सेवियां
मैदे से बनी
घी में भूनी
दूध में पकाई
जोड़ दी चीनी
किशमिश से
रसीली बनी
खायी मैंने
तेरे मुंह पानी ।।
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Mohan Sardarshahari
5d
राधा
तारे हैं पूरे, चांद है आधा
उल्लू की आवाजें नींद में बाधा
छत पर ना सोना अकेले
यदि साथ ना हो अपनी राधा।।
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